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Friday 18 September 2020

ग़ज़ल - चोवा राम 'बादल'*

 *ग़ज़ल - चोवा राम 'बादल'*


*बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ*

मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन (फ़ेलुन)

*1212 1122 1212 22*


मिले रहै सबो के दिल तभे मजा आही

बला बना के तो अपने तभे मया आही


गँवागे हे धरे मीठा जिनिस कहाँ खोजौं

धरे हवै वो दे दै चिटको तो दया आही


उघारे देखबो नैना तभे तो गम पाबो

गरीब हा सबे के काम तो सदा आही


लड़ा लड़ा के मिटाये हमेशा उन मन हें

अँजोरी रात के चंदा कहाँ बता आही


न चोंट सहला न कुछु बोलबे तैं जी पगला

सुदामा हच तैं तो 'बादल', त दुःख हा आही


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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