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Wednesday 23 September 2020

ग़ज़ल - मनीराम साहू मितान

 ग़ज़ल - मनीराम साहू मितान


बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122  2122 2122


ओकरे चारो कुती बड़ सोर हाबय।

खात हे सरबस लुका वो चोर हाबय।


हे नमन डंडा सरन बलिदान उॅनकर,

बड़ सुरक्षित आज जम्मो छोर हाबय।


स्वच्छता अभियान के हे बड़ असर जी,

साफ जम्मो बाट चातर खोर हाबय।


हे बतावत मेहनत ला गोड़ ओकर,

केंदवा ले गदफदाये पोर हाबय।


का करन जी होय हाबय दार सपना,

कोंहड़ा भाजी चुरे हे झोर हाबय।


मार लवठी के परे हा दिख जथे जी,

बोल मारे नइ दिखय कहँ लोर हाबय।


कोन जानय भाग ओकर का लिखे हे,

सुख हवय या दुख घटा घनघोर हाबय।


नइ टुटै टोरे कभू कइथे मनी हा,

सच अबड़ झिम्मट मया के डोर हाबय।


- मनीराम साहू मितान

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