Total Pageviews

Saturday, 26 September 2020

ग़ज़ल - मनीराम साहू मितान

 ग़ज़ल - मनीराम साहू मितान


बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122  2122 2122


पा अपन अधिकार करतब झन‌ भुला तैं।

सोच गा हित चार करतब झन‌ भुला तैं।


आय कोनो घर दुखर्रा साथ माॅगत,

कष्ट दे गा टार करतब झन‌ भुला तैं।


हे अबड़ जग आज जी झगरा बढ़इया,

बाॅट ले गा प्यार करतब झन‌ भुला तैं।


हे ददा दाई चरन मा सुख हजारों,

पूज ले बइठार करतब झन‌ भुला तैं।


एक के बोझा बदलही चार लवठी,

ले तहूॅ कुछ भार करतब झन‌ भुला तैं।


मेहनत बल जग खड़े हे खर पसीना,

माथ ले ओगार करतब झन‌ भुला तैं।


आय घर बइरी ल देना ऊॅच पीढ़ा,

पाय हॅन संस्कार करतब झन‌ भुला तैं।


कर भजन रट नाम हरि के सुन‌ मनी नित,

हो जबे भव पार करतब झन‌ भुला तैं।


- मनीराम साहू मितान

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...