छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह
बहरे रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122
सीख ले बेटा तहूॅं खेती किसानी
उम्र भर खेती दया हे अन्न पानी
याद करबे तॅंय ददा के बात काली
खॉंध मा परिवार के आही सियानी
आज हे बाजार के गुणगान भलते
कोन जानै काल के कविता कहानी
शेष जीडीपी कभू रिन मा खसलही
खेती कर हमला बनाही भागमानी
नौकरी बयपार के रोजी-मजूरी
यार करना हे बिना मारे फुटानी
जाॅंचते रहिबे रहच कोनो जघा मा
पॉंव तर भुइयाॅं मुड़ी ऊपर म छानी
आदमी सच्चा खरा हे जान जाबे
जेन ला सुखदेव लगही बातबानी
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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