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Saturday, 26 September 2020

ग़ज़ल -आशा देशमुख*

 *ग़ज़ल -आशा देशमुख*


*बहरे रमल मुसद्दस सालिम*

*फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन*

*2122   2122  2122*


तोर वो बोहत हवय रसधार महुआ

डूब के कतको मरे परिवार महुआ।1


का खुशी का दुख सबो मा तँय समाए

तोर बिन नइ होत हे व्यवहार महुआ।2



खेत डोली के भले ही ठप्प हावंय

तोर तो फूले फरे व्यापार महुआ।3


का खवाये मोहनी तड़पत हवय मन

तोर पाछू हे पड़े संसार महुआ।4


फैल गेहे रोग रोगी मन बढ़त हें

कोन करही बैद बिन उपचार महुआ।5


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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