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Thursday 24 September 2020

गजल-दुर्गा शंकर इजारदार

 

गजल-दुर्गा शंकर इजारदार

बहरे रमल मुसद्दस सालिम


फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन


2122    2122    2122


भाग दोषी मान के झन कर बहाना।

बैठ झन चुपचाप जाँगर ला चला ना।।


आगी धरथे आदमी तो जान के रे ।

हाथ जरके दोष माढ़़त हे जमाना।।


मीठलबरा जान ले कर ले चिन्हारी।

काम ओकर आपसी मा हे लड़ाना।।


देश सेवा बर विधायक वो बने हे।

लूट दारिस देश भर लिस खुद खजाना।।


धान सरगे लाख टन गोदाम मा रे।

आदमी तरसत हवय एक एक दाना


खोज डारे देवता ला का ग पाये?

देवता दाई ददा माथा नवाना ।।


कर भरोसा खुद के दुर्गा पार जाबे ।

जोश कतका हे जमाना ला बताना ।।


दुर्गा शंकर ईजारदार

सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)

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