Total Pageviews

Friday 18 September 2020

गजल-मनीराम साहू मितान

 


गजल-मनीराम साहू मितान

बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महजूफ़ 

मुफ़ाइलुन फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन

1212  1122  1212  22 


छदर बदर हे सबो झन‌ कहॅव‌ बने कइसे।

मया भुले हे बड़े मन कहॅव‌ बने कइसे।


बुता बने हे किसानी करॅय नहीं तबहो 

अलाली बड़ हे भरे तन कहॅव‌ बने कइसे।


सरप असन हो गये हें नॅगत उछरथें बिख,

तने रथे गा सदा फन कहॅव‌ बने कइसे।


फरी पवन के बिना जी बढ़े हवय रोगी,

जहर घुरे हे सबो कन कहॅव‌ बने कइसे।


बिकत हवय गा नॅगत के गली गली दारू,

नशा करात हे अनबन कहॅव‌ बने कइसे।


करय नही वो कभू श्रम धरे गरीबी हे,

कथे भुलाय हे भगवन कहॅव‌ बने कइसे।


दया धरम ला बिसर के मितान हे बइठे,

भले भराय हे घर धन कहॅव‌ बने कइसे।


- मनीराम साहू मितान

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...