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Saturday 26 September 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर


बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम

 मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन


2212 2212


मुस्कात बाली धान के

चेहरा ये हिन्दुस्तान के


हे प्रार्थना हर दिन बितय

रोजा सरिक रमजान के


कामिल के हे कुटका भले

कपड़ा हे महॅंगा थान के


श्रीराम खुश हे तोर बर

रद्दा म हस हनुमान के


नइ फेल होवस कभू

चलबे सफलता ठान के


आसा सरग के का करी

सुख नइ मिलिस शमशान के


कॅंउवा के पाछू भाग झन

पिन्ना टमड़ ले कान के


ए मा मया मरहम लगा

ए घॉंव ए नैना-बान के


तॅंय स्त्रोत झन निरवारबे

'सुखदेव' सत के ज्ञान के


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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