छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
मुस्कात बाली धान के
चेहरा ये हिन्दुस्तान के
हे प्रार्थना हर दिन बितय
रोजा सरिक रमजान के
कामिल के हे कुटका भले
कपड़ा हे महॅंगा थान के
श्रीराम खुश हे तोर बर
रद्दा म हस हनुमान के
नइ फेल होवस कभू
चलबे सफलता ठान के
आसा सरग के का करी
सुख नइ मिलिस शमशान के
कॅंउवा के पाछू भाग झन
पिन्ना टमड़ ले कान के
ए मा मया मरहम लगा
ए घॉंव ए नैना-बान के
तॅंय स्त्रोत झन निरवारबे
'सुखदेव' सत के ज्ञान के
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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