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Monday, 21 September 2020

गजल-अरुण कुमार निगम

गजल-अरुण कुमार निगम

*बहरे रमल मुसद्दस सालिम*

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन


*2122    2122    2122*



देउँता बइठे रहिन पुरखा के घर मा

सुख दुवारी मा रहिस खपरा के घर मा।


चल अनाथालय उहें दिन काटबो हम

अब ठियाँ रहिगे कहाँ बेटा के घर मा।


घर बड़े होगे तहाँ तारा लटक के

सुख मया जम्मो रहिस तइहा के घर मा।


सोच के करबे बिदा छेरी ला भाई

के दिना बाँचे रही बघुवा के घर मा।


लॉकडाउन मा कमइया मन के हालत

देख, बइठे हे "अरुण" बइहा के घर मा।


*अरुण कुमार निगम*

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