Total Pageviews

Sunday, 13 September 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

 गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


*बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़*

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन

*221 2121 1221 212*


बंदन करौं किसान ला मैं हाथ जोर के।

हावय सुरुज विकास इही आस भोर के।।


लावव नवा बिहान सुमत धर सुराज ला।

छत्तीसगढ़ के मान बढ़ै गाँव खोर के।।


हपटे गिरे परे डरे मनखे उठा चलौ।

पानी पिला पियासा ला रस प्रेम घोर के।।


राहय समय न एक बरोबर इँहा सदा।

झन हाँसहू गरीब दुखी जन निहोर के।।


सत काज बढ़ै हाथ गजानंद चाहथे।

आपस रखौ मया सबो मन भेद टोर के।।



इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...