🌹*ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹
*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212*
जब ले करोना आय हे
दुनिया अबड़ डरराय हे
कइसे करे इलाज अब
लोगन इहाँ फिफ़ियाय हे।
का रूप धरलिस काल हा
अब तो हवा बइहाय हे।
मुँह कान बाँधे जग फिरे
छइहाँ घलो भरमाय हे।
अँगना गली फुलवा लगा
चारो डहर महकाय हे।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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