🌹*ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹
*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212*
आये हवय बरसात हे
मिहनत करे शुरुआत हे।
सोना नही चाँदी नही
खेती हमर सौगात हे।
ये वज्र कस दुख लागथे
बेटा हा मारे लात हे।
चाकू छुरी का मारही
सबले बड़े तो बात हे।
सुनले जरूरी सूचना
बैरी लगाए घात हे।
आवव पहेली बूझ लव
जम्मो धरम मा भात हे।
दाई करे अब्बड़ मया
जेवन परोसे तात हे।
हीरो हीरोइन के नशा
दारू के का औकात हे।
आशा बनाले खीर तँय
पुन्नी शरद के रात हे।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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