गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
*बहरे रमल मुसद्दस सालिम*
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
*2122 2122 2122*
बाँध ले गठरी मया तब मान पाबे।
नेक कारज ले इँहा पहिचान पाबे।।
देवता दाई ददा सुन आज भी हे।
राम सरवन कस कहाँ संतान पाबे।।
एक मनखे खून सबके एक कहिगे।
संत घासीदास ले सत ज्ञान पाबे।।
अंधविश्वासी धरे हे ढ़ोंग जन जन।
सत्य मारग मा कहाँ इंसान पाबे।।
मोर भारत देश मा बड़ एकता हे।
जान से बड़के तिरंगा शान पाबे।।
हे कटोरा धान के छत्तीसगढ़ हा।
लहलहावत खेत अउ खलिहान पाबे।।
जोर दून्नों हाथ ला कहिथे गजानंद।
दीन दुखिया सेवा ले भगवान पाबे।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़ )
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