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Wednesday, 23 September 2020

गजल--चोवा राम वर्मा'बादल'

 गजल--चोवा राम वर्मा'बादल'


*बहरे रमल मुसद्दस सालिम*

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन


*2122    2122    2122*


काय राखे हे ये तन मा सोंच लेना

सुख कहाँ हे जोरे धन मा सोंच लेना


हे महल ऊँचा अटारी फेर काबर

लोभ लालच हे लगन मा सोंच लेना


छल भरे मृगतृष्णा जइसे ये जगत हा

जीव जाथे तो थकन मा सोंच लेना


मान देबे मान पाबे संत कहिथें

सत पुरुष हे सबके मन मा सोंच लेना


ज्ञान के करके अहम कतको नसागें

आगि बरथे का बचन मा सोंच लेना


मन तपोवन कस बनाके राम जप ले

का मिले हे जाके वन मा सोंच लेना


हे बिछे बड़ जाल फँस जाबे तैं झटकुन

झन दिखा 'बादल' लड़कपन सोंच लेना


चोवा राम वर्मा'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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