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Saturday, 26 September 2020

ग़ज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी

 ग़ज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी

बहरे रमल मुसद्दस सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन

2122 2122 2122


जनता बर जनता ला अब सरकार लिखबो

छोड़ डरना हम अपन अधिकार लिखबो


आँख हम ला अउ कहूँ कोनो दिखाही

बइरी मन बर तब तो हम तलवार लिखबो


जेन कुर्सी पाके मनमानी करत हे

तब तो ओखर घोर अत्याचार लिखबो


दूध कहिबो दूध ला पानी ला पानी

का सही अउ का गलत  हे सार लिखबो


भूख मा मरगे हज़ारो अउ मरत हे

'ज्ञानु' राजा ला हमर धिक्कार लिखबो


ज्ञानु

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