*ग़ज़ल -आशा देशमुख*
*बहरे रमल मुसद्दस सालिम*
*फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन*
*2122 2122 2122*
हे करम गुमनाम जी उत्पाद करके।
छल बने हे तोपचँद अनुवाद करके।1
ये गरीबी हा पहावत हे उमर ला
नइ मिलत हे न्याय हा फरियाद करके।2
सोन चिरिया के पड़े पाछू शिकारी
बाग ला रौंदे चले बरबाद करके।3
दुख सहे कब तक इहाँ कोंवर कली हा
अब उतारव जंग मा फौलाद करके।4
झन कहव कुछ चीज ला हावय नकारा
डार देवव खेत मा जी खाद करके।5
सोन पिंजड़ा मा सुआ कइसे रही खुश
देख लेवव एक छिन आज़ाद करके।6
पोसवा मन के करव झन तो गुलामी
मुड़ उठा आशा चलो सिंहनाद करके।7
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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