Total Pageviews

Friday, 18 September 2020

ग़ज़ल --आशा देशमुख*

 *ग़ज़ल --आशा देशमुख*


*बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ*

मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन (फ़ेलुन)

*1212 1122 1212 22*



समाय मोर नजर मा वो मोहनी बनके

मया परीक्षा म बइठे वो  सोहनी बनके।


कमाए आज मुनाफा बजार मा भारी

मढ़ाय पाँव ल लक्ष्मी हा बोहनी बनके।


रचाय कैसे विधाता कभू कभू माया

ये देवकी हा  जने कोख रोहणी बनके।


बनाय कोन जगत मा ग दान ला दाहिज

दुहे हे दूध  अबड़ लोभ दोहनी बनके।


शहर डहर गली द्वारी म झूठ हा बइठे

चुपे हे आज सच्चाई बिछोहनी बनके।



आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...