*ग़ज़ल --आशा देशमुख*
*बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ*
मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन (फ़ेलुन)
*1212 1122 1212 22*
समाय मोर नजर मा वो मोहनी बनके
मया परीक्षा म बइठे वो सोहनी बनके।
कमाए आज मुनाफा बजार मा भारी
मढ़ाय पाँव ल लक्ष्मी हा बोहनी बनके।
रचाय कैसे विधाता कभू कभू माया
ये देवकी हा जने कोख रोहणी बनके।
बनाय कोन जगत मा ग दान ला दाहिज
दुहे हे दूध अबड़ लोभ दोहनी बनके।
शहर डहर गली द्वारी म झूठ हा बइठे
चुपे हे आज सच्चाई बिछोहनी बनके।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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