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Monday 28 September 2020

ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹

 🌹*ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹


*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*

 

*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*

 *2212 2212*



झन जाव घर ला छोड़ के

लावव नहर ला मोड़ के।


जिनगी कहाँ पानी बिना

पीयव कुआँ ला कोड़ के।


रहिथे अलग सब फूल मन

माला रखे हे जोड़ के।


शुभ सोच हा आघू बढ़े

बाधक नियम ला तोड़ के।


भीतर भराये हे गुदा

खावव चिरौंजी फोड़ के।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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