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Friday, 8 January 2021

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

 गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

*बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़*

*मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन*

*1212 1212 1212 1212*


उठा नजर ला देख ले कहाँ रमे धियान हा।

लगे हे आग जाति धर्म नित जलत मकान हा।


गिरे परे उठा चले मसीहा अब वो हे कहाँ

लगे हे दाँव जिंदगी अधर मा हे परान हा।


बिरान हे गली बगीचा गाँव घर सबो जगा

मिले नही सुने ला मीठ कोयली के तान हा।


उठा कलम सदा सही दिशा धरे नियाव के

तभे पढ़े लिखे के मोल सार गुरु के ज्ञान हा।


कहे हे बात सत्यबोध थाम राह नेक जी

तभो ले भैरा हे पड़े सबो के आज कान हा।



इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध" 

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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