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Monday, 27 July 2020

छत्तीसगढ़ी गजल -जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

छत्तीसगढ़ी गजल -जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम 
फ़ाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन 

212 212 212 212  

का गलत का सहीं हे बता बात मा।
रोष जादा कभू झन जता लात मा।1

हाड़ अउ मांस के तन मा काके गरब।
काँपथे जाड़ मा जर जथे तात मा।।2

साग भाजी हवा अउ दवा दै उही।
जान हे जान ले पेड़ अउ पात मा।3

आदमी अस ता रह आदमी बीच में ।
बाढ़थे मीत ममता मुलाकात मा।।4

छोड़ लड़ना झगड़ना अरझ के मनुष।
तोर मैं मोर धन अउ धरम जात मा।5

भाँप के बेर ला लउठी धरके निकल।
नइ भगाये कुकुर कौवा हुत हात मा।6

हाँ बँटत दिख जथे धन रतन हा कभू।
नइ मिले अब मया मीत खैरात मा।7

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा (छग)

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