Total Pageviews

Saturday, 25 July 2020

गजल -दुर्गा शंकर इजारदार

गजल -दुर्गा शंकर इजारदार

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212

भूख हड़ताल मा बइठे तो छाय हे ,
आये के पहिली भर पेट वो खाय हे।।

आजकल के तो लइका सुनत हे कहाँ,
गोठ ओला सियानी कहाँ भाय हे।।

बेटा मारत हवय गा फुटाँगी बहुत,
बाप के तो कमाई म बउराय हे।।

आज परिवार के शौंक पूरा करत
बाप भारी तो कर्जा म बोजाय हे।।

खेत बंजर बहुत जल्दी हो जाही गा,
यूरिया डी.ए.पी .खेत डलवाय हे।।

दुर्गा शंकर ईजारदार
सारंगढ़

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...