ग़ज़ल-आशा देशमुख
बहरे हज्ज मुसम्मन सालिम
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
1222 1222 1222 1222
परव दाई ददा के पाँव घर हा धाम हो जाही।
चलव सच के धरव रद्दा सबो शुभ काम हो जाही।
अपन स्वारथ अहम छोड़व कभू तो बाँटलव सुख ला
करव जी काज नेकी के तुँहर भी नाम हो जाही।
धनी ला खेत जाए बर उठावै नित सुवारी हा।
बिहनिया ले करव बूता नही तो घाम हो जाही।
कहाँ तक ले छुपाही पाप करके राज अपराधी
हवा के संग घूमे बात चरचा आम हो जाही।
चुहक ले तँय भले आमा कहूँ कर फेंक दे गोही।
मया माटी दिखाही तब बने वो दाम हो जाही।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
बहरे हज्ज मुसम्मन सालिम
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
1222 1222 1222 1222
परव दाई ददा के पाँव घर हा धाम हो जाही।
चलव सच के धरव रद्दा सबो शुभ काम हो जाही।
अपन स्वारथ अहम छोड़व कभू तो बाँटलव सुख ला
करव जी काज नेकी के तुँहर भी नाम हो जाही।
धनी ला खेत जाए बर उठावै नित सुवारी हा।
बिहनिया ले करव बूता नही तो घाम हो जाही।
कहाँ तक ले छुपाही पाप करके राज अपराधी
हवा के संग घूमे बात चरचा आम हो जाही।
चुहक ले तँय भले आमा कहूँ कर फेंक दे गोही।
मया माटी दिखाही तब बने वो दाम हो जाही।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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