गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध'
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
सुन बुधारू कका छोड़ दारू तहूँ।
नाश के जड़ नशा भर हुकारू तहूँ।।
दूध नोहर हवे आज कल देख ले।
बाँध ले गाय कोठा दुधारू तहूँ।।
कुछ बिचारे नहीं सत्य ईमान ला।
होय झगरा करे बर उतारू तहूँ।।
दोगला नीति के बात ला छोड़ दे।
देश खातिर बने जा जुझारू तहूँ।।
बात सच्चा गजानंद कहिथे सदा।
मंगलू सुन ले सुन ले समारू तहूँ ।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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