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Monday 20 July 2020

गजल-चोवा राम 'बादल'

गजल-चोवा राम 'बादल'

बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222

तुहँर तो कारखाना हे हमर उजरे तो बारी हे
कुकुर हावय तुहँर घर मा हमर घर गाय कारी हे

धरे वोमन हवयँ पइसा लुटाये हम ग रोवत हन
उँकर सब झूठ हे सच्चा हमर सब सच लबारी हे

बने जस मंथरा फिरथे परोसिन हा घरो घर मा
कभू एकर कभू ओकर करत बड़ चुगरी चारी हे

कभू झन देबे गारी रे बहिन अउ माँ के कोनो ला
तहूँ ला हे जे उपजाये उहू हा मातु नारी हे

हवै कुलकत बने कुरिया बहत हे प्रेम के धारा
 जिहाँ सबके सबो झन सँग पटत सुग्घर के तारी हे

जियत ले सुन ले सँगवारी बने कुछ काम कर ले तैं
अगोरत काल हे बइठे अजी तोरो  दुवारी हे

छिंचागे खेत मा बिजहा फँदागे बइला नाँगर हा
तहूँ अब आ जबे 'बादल' बरस जा तोर पारी हे

चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़

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