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Tuesday, 7 July 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

*बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर*

*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा*

*212  212  212  2*

का करम मैं करौं तैं बता दे।
संग काखर धरौं तैं बता दे।1

पाँव पहली परौं जीत बिसरौं।
कोन मैंहा हरौं तैं बता दे।।2

काठ कच्चा भिंगौ अउ झड़ी मा।
कइसे बम्मर बरौं तैं बता दे।।3

रात दिन जीव शिव सब हे बैरी।
कोन ले मैं डरौं तैं बता दे।4

मुँह बँधाये हवै पेट उन्ना।
कइसे चारा चरौं तैं बता दे।5


जड़ न डारा न पाना बने हे।
का फुलौं अउ फरौं तैं बता दे।6

कोन दुरिहाय दुख डर दरद ला ।
पाँव काखर परौं तैं बता दे।7

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा (छग)

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