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Saturday 4 July 2020

ग़ज़ल-आशा देशमुख

ग़ज़ल-आशा देशमुख

बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जु आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212   212  212  2


नौकरी के लगे आस भाई
नइ सिफारिश हमर पास भाई

भ्रष्ट सत्ता सिराही कभू तो
दिन बहुरही हे विश्वास भाई

रोग पाछू परे रात दिन हे
जान ले ये नशा नास भाई।

सरसती के कहावत हें बेटा
वो तो लक्ष्मी के हे दास भाई।

तन म छिड़कत हे इत्तर सुगंधी
मन कपट मारे बड़ बास भाई।

बैठ के खाव बारों महीना
काम माँगे ये चौमास भाई।

फोकटे के गरजथे समुन्दर
नइ बुझावय रे ये प्यास भाई।

रोज ऑफिस के चक्कर लगा झन
रख तहूँ आदमी खास भाई।

 शेखचिल्ली करे काय आशा
कर्म लिखथे गा इतिहास भाई।

आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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