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Saturday 25 July 2020

ग़ज़ल-ज्ञानु

ग़ज़ल-ज्ञानु

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन
212 212 212 212

तोर बिन दिन पहावय नही का करौ
मन घलो मोर मानय नही का करौ

मोहनी डारे हे का मया के अपन
अन्न पानी सुहावय नही का करौ

रोज लड़ना झगड़ना करे फोकटे
चाहथे का बतावय नही का करौ

हाल बइहाँ बरन मोर हे सोच सोच
अउ ग़ज़ल हा लिखावय नही का करौ

एक जेखर रिहिस हे भरोसा इहाँ
साथ ओहर निभावय नही का करौ

बात कस बात राहय नही फेर वो
मन ले खुन्नस हटावय नही का करौ

'ज्ञानु' गहरा मया मा मिले ये
 जखम
घाव जल्दी मिटावय नही का करौ

ज्ञानु

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