छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
रहे बर बन जही घर पॉंच छै अउ सात माले के
हवय ए भीड़ बर नित दू बखत चिन्ता निवाले के
बिना जाने प्रकृति पर्यावरण के का हवय मरजी
चलन हे खोर घर ॲंगना सड़क कंक्रीट ढाले के
ददा दाई ह जोहय पर के मुॅंह ला पेट बर बिधुना
चढ़े हे शौंक बेटा ला अपन घर डॉग पाले के
कभू ये चीन के झगरा कभू नेपाल के नखरा
सही कइसे हिमाकत पाक के दिन-रात घाले के
कथें हे पोठ सौ बक्का ले जादा एकठन लिक्खा
तभे अब तक जिरह मन मा चलत आये हे लाले के
गरीबन अउ अमीरन मा इहू बड़ खास हे अन्तर
ए ला खाये के चिन्ता हे ओ ला चिन्ता निकाले के
डटे रह द्वार मा सुखदेव तॅंय जल्दी जवाब आही
समय नइहे समय कर अब समय के प्रश्न टाले के
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
रहे बर बन जही घर पॉंच छै अउ सात माले के
हवय ए भीड़ बर नित दू बखत चिन्ता निवाले के
बिना जाने प्रकृति पर्यावरण के का हवय मरजी
चलन हे खोर घर ॲंगना सड़क कंक्रीट ढाले के
ददा दाई ह जोहय पर के मुॅंह ला पेट बर बिधुना
चढ़े हे शौंक बेटा ला अपन घर डॉग पाले के
कभू ये चीन के झगरा कभू नेपाल के नखरा
सही कइसे हिमाकत पाक के दिन-रात घाले के
कथें हे पोठ सौ बक्का ले जादा एकठन लिक्खा
तभे अब तक जिरह मन मा चलत आये हे लाले के
गरीबन अउ अमीरन मा इहू बड़ खास हे अन्तर
ए ला खाये के चिन्ता हे ओ ला चिन्ता निकाले के
डटे रह द्वार मा सुखदेव तॅंय जल्दी जवाब आही
समय नइहे समय कर अब समय के प्रश्न टाले के
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
सुग्घर
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