गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जू आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2
मोर छत्तीसगढ़ राज हावय ।
सोनहा धान के ताज हावय ।।
टोर जाँगर कमा ले तहूँ हा ।
मेहनत ले सजे साज हावय ।।
खून पानी समाये कभू झन ।
जान ले तोर का लाज हावय ।।
आदमी आदमी के हे दुश्मन ।
ये जमाना दगाबाज हावय ।।
छोड़ कल के तैं चिंता फिकर ला ।
जी ले जिनगानी जे आज हावय ।।
हे बताये सबो धर्म गुरु मन ।
नेक इंसानियत काज हावय ।।
मैं गजानंद माथा नवावँव ।
मोर गुरु मोर बर नाज हावय ।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जू आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2
मोर छत्तीसगढ़ राज हावय ।
सोनहा धान के ताज हावय ।।
टोर जाँगर कमा ले तहूँ हा ।
मेहनत ले सजे साज हावय ।।
खून पानी समाये कभू झन ।
जान ले तोर का लाज हावय ।।
आदमी आदमी के हे दुश्मन ।
ये जमाना दगाबाज हावय ।।
छोड़ कल के तैं चिंता फिकर ला ।
जी ले जिनगानी जे आज हावय ।।
हे बताये सबो धर्म गुरु मन ।
नेक इंसानियत काज हावय ।।
मैं गजानंद माथा नवावँव ।
मोर गुरु मोर बर नाज हावय ।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
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