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Thursday 9 July 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बहरे मुतदारिक मुसम्मन  अहज़जू आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212  212  212  2

मोर छत्तीसगढ़ राज हावय ।
सोनहा धान के ताज हावय ।।

टोर जाँगर कमा ले तहूँ हा ।
मेहनत ले सजे साज हावय ।।

खून पानी समाये कभू झन ।
जान ले तोर का लाज हावय ।।

आदमी आदमी के हे दुश्मन ।
ये जमाना दगाबाज हावय ।।

छोड़ कल के तैं चिंता फिकर ला ।
जी ले जिनगानी जे आज हावय ।।

हे बताये सबो धर्म गुरु मन ।
नेक इंसानियत काज हावय ।।

मैं गजानंद माथा नवावँव ।
मोर गुरु मोर बर नाज हावय ।।

गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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