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Tuesday, 7 July 2020

गजल- मनीराम साहू मितान

गजल- मनीराम साहू मितान

बहरे मुतदारिक मुसम्मन  अहज़जू आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212  212  212 2

आय सावन हवय बोल बमबम।
माह पावन हवय बोल बमबम।

धान डोली जगे बाहरा के,
बड़ सुहावन हवय बोल बमबम।

देत हे वो खड़े होय भासन,
बस लुभावन हवय बोल बमबम।

पाट भर हे चलत बैर नरवा,
डरडरावन हवय बोल बमबम।

पाप हिन्सा डगर मा चलत हे,
सच्च रावन हवय बोल बमबम।

हे बिकत हाट ईमान बइला,
खूब दावन हवय बोल बमबम।

वो जमावत हवय दूध रिस के,
मैं के जावन हवय बोल बमबम।

बात धरले मनी तैं सबो के,
जे सिखावन हवय बोल बमबम।

मनीराम साहू मितान

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