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Wednesday, 22 July 2020

ग़ज़ल-आशा देशमुख

ग़ज़ल

बहरे हज़्ज़ मुसम्मन सालिम
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

1222  1222  1222  1222

घटाना जोड़ जिनगी मा अबड़ हे मान पाई के
हवय सबले बड़े छइयाँ मया अँचरा ह दाई के।

रखव आँखी तरी पानी रहय जी मान अउआदर
लगे बानी घलो गुत्तुर बिना खाये मिठाई के।

नज़र के सँग फिसल जाथे कभू मनखे के नीयत हा।
यहू ला जानलव हरदम रहय नइ दोष काई के।

मिले जब मान पद बढ़िया कहूँ ला झन समझ छोटे
दया बर ठौर नइहे काय तब अइसन ऊँचाई के।

घुमावत हे छड़ी जेलर जगत के जीव मन कैदी
तजे तन मोह माया ला इही साधन रिहाई के।

आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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