छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
इही आषाढ़ सावन मा मिले रेहेन सुरता कर
गियॉं घनघोर बारिश मा फिले रेहेन सुरता कर
उहॉं बिजुरी लउक जावै इहॉं बादर गरज जावै
गरजना मा झझक सॅंघरा हिले रेहेन सुरता कर
ओ कैंचीफॉंक सॅंयकिल तोर पाछू केरियल मा मॅंय
ए माड़ी कोहनी ला हम छिले रेहेन सुरता कर
अपन टोंटा ल अरझाले रहिस घानी-मुनी घुमके
ओ बछरू ला हमीं दूनो ढिले रेहेन सुरता कर
ओ परछी मा बिछे लुगरा छिटाही रंग मनभावन
ममादाई के कथरी ला सिले रेहेन सुरता कर
न जी सुखदेव इस्कुल मा रहॅंय अनबोलना ओमन
दु दल हम एक कर दल मा पिले रेहेन सुरता कर
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
इही आषाढ़ सावन मा मिले रेहेन सुरता कर
गियॉं घनघोर बारिश मा फिले रेहेन सुरता कर
उहॉं बिजुरी लउक जावै इहॉं बादर गरज जावै
गरजना मा झझक सॅंघरा हिले रेहेन सुरता कर
ओ कैंचीफॉंक सॅंयकिल तोर पाछू केरियल मा मॅंय
ए माड़ी कोहनी ला हम छिले रेहेन सुरता कर
अपन टोंटा ल अरझाले रहिस घानी-मुनी घुमके
ओ बछरू ला हमीं दूनो ढिले रेहेन सुरता कर
ओ परछी मा बिछे लुगरा छिटाही रंग मनभावन
ममादाई के कथरी ला सिले रेहेन सुरता कर
न जी सुखदेव इस्कुल मा रहॅंय अनबोलना ओमन
दु दल हम एक कर दल मा पिले रेहेन सुरता कर
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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