गजल -चोवाराम वर्मा बादल
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जू आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलून फ़ाइलून फ़ा
फूल कस जिंदगी तैं बना ले
सहिके पीरा अपन मुस्कुरा ले
चार दिन के सजे मेला ठेला
घूम फिर के मजा तैं उड़ा ले
फाट छाती जही तोर दुख मा
चल ददा दाई ला सोरिया ले
आही असली मजा गा जिये मा
एको सपना नयन मा जगा ले
हाथ जोरे म हक नइ मिलै जी
बाज कस अब झपट के नँगा ले
साँप खुसरे हवै तोर घर में
मार डंडा भगा जी बँचा ले
एक ले दु भला होथे सिरतो
सोच 'बादल' तहूँ घर बसा ले
चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जू आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलून फ़ाइलून फ़ा
फूल कस जिंदगी तैं बना ले
सहिके पीरा अपन मुस्कुरा ले
चार दिन के सजे मेला ठेला
घूम फिर के मजा तैं उड़ा ले
फाट छाती जही तोर दुख मा
चल ददा दाई ला सोरिया ले
आही असली मजा गा जिये मा
एको सपना नयन मा जगा ले
हाथ जोरे म हक नइ मिलै जी
बाज कस अब झपट के नँगा ले
साँप खुसरे हवै तोर घर में
मार डंडा भगा जी बँचा ले
एक ले दु भला होथे सिरतो
सोच 'बादल' तहूँ घर बसा ले
चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़
लाजवाब
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