छत्तीसगढ़ी गजल- चोवा राम 'बादल '
*बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर*
*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा*
*212 212 212 2*
चीजबस हा खचाखच भरे हे
देख तभ्भो जुठाही करे हे
बाँध के राख हे गाय हरही
रात भर खेत ला वो चरे हे
घेर के हें खड़े कोलिहा मन
शेर हा तो बता कब डरे हे
भूत होवय नहीं खाथे भय हा
जे डरे हे वो सिरतो मरे हे
गाँठ परगे मया डोरी मा अब
छोटकुन बात ला वो धरे हे
सच मा होथे अबड़ सत के ताकत
पानी तक मा दिया हा बरे हे
झन बरस अतको जादा तैं 'बादल'
तोर मारे तो बिजहा सरे हे
चोवा राम 'बादल '
हथबन्द, छत्तीसगढ़
*बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर*
*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा*
*212 212 212 2*
चीजबस हा खचाखच भरे हे
देख तभ्भो जुठाही करे हे
बाँध के राख हे गाय हरही
रात भर खेत ला वो चरे हे
घेर के हें खड़े कोलिहा मन
शेर हा तो बता कब डरे हे
भूत होवय नहीं खाथे भय हा
जे डरे हे वो सिरतो मरे हे
गाँठ परगे मया डोरी मा अब
छोटकुन बात ला वो धरे हे
सच मा होथे अबड़ सत के ताकत
पानी तक मा दिया हा बरे हे
झन बरस अतको जादा तैं 'बादल'
तोर मारे तो बिजहा सरे हे
चोवा राम 'बादल '
हथबन्द, छत्तीसगढ़
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