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Thursday 23 July 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222

बिना पाना बिना डारा, फरौं कइसे बता दे तैं।
नयन मुँह बाँध के चारा, चरौं कइसे बता दे तैं।1

खुसी के नीर हा निथरे, करम गागर हवै फुटहा।
अपन जिनगी मा सुख ला मैं, भरौं कइसे बता दे तैं।2

भगाये बर अँधेरा जोत जइसे, चाहथों बरना।
भला बिन तेल बाती के, बरौं कइसे बता दे तैं।3

छली छलिया कथे कोनो, कथे कोनो निचट बइहा।
मयारू तोर मनके मैं, हरौं कइसे बता दे तैं।4

नँगाये सुख कहाँ मिलथे, करम बिन भाग का खिलते।
मुठा भर बाँध के रेती, धरौं कइसे बता दे तैं।5

खुदे के भार नइ सम्हले, झकोरा मा हले तन हा।
बने बर नेंव के पथरा, करौं कइसे बता दे तैं।6

छुटे नइ मोह हा तनके, रथे चिपके गजब जमके।
नवा पाना उगाये बर, झरौं कइसे बता दे तैं।7

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)



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