ग़ज़ल-आशा देशमुख
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जु आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2
जात के भीतिया तोड़बे का
टूट गेहे नता जोड़बे का।
मीठ पानी के झरिया सुखागे
अब नवा अउ कुआँ कोड़बे का।
खेत बारी सबो बेच डारे
तँय बता सब नशा छोड़बे का।
आज कतको हवय गाँव सुक्खा
ये नहर के डहर मोड़बे का।
जीत के देश झंडा गड़ावय
एक फटाका तहूँ फोड़बे का।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जु आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2
जात के भीतिया तोड़बे का
टूट गेहे नता जोड़बे का।
मीठ पानी के झरिया सुखागे
अब नवा अउ कुआँ कोड़बे का।
खेत बारी सबो बेच डारे
तँय बता सब नशा छोड़बे का।
आज कतको हवय गाँव सुक्खा
ये नहर के डहर मोड़बे का।
जीत के देश झंडा गड़ावय
एक फटाका तहूँ फोड़बे का।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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