गजल - चोवा राम 'बादल'
बहरे हज्ज मुसम्मन सालिम
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
1222 1222 1222 1222
समस्या के बता दे हल कती कब कइसे मा होही
नहीं ते साफ कहिदे तैं कहाँ पइसा बिना होही
हमर तैं वोट ला पाके बने भैरा हवच बइठे
समे आही बता देबो तहूँ ला फेर का होही
उफनथे ढोड़गी अबड़े कभू पानी चिटिक गिरथे
उतर जाही वो थोकुन मा नदी ला तो पता होही
हँसी आवत हवय ए देख अदरा मेंछरावत हे
अबड़ के टिंग टिंगावत हे अजी बइला नवा होही
झपट लिच बाज कस बीमारी अब तो जीव नइ बाँचय
उड़ादिच छानही ला जे गरीबी के हवा होही
मया करबे मया पाबे इही हे सार जिनगी के
तउल झन तैं हा पइसा मा कहाँ वो हा मया होही
ददा दाई ला जीते जी खवा ले प्रेम के कौंरा
उँकर बर मीठ बोली तोर सिरतो मा दवा होही
चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़
बहरे हज्ज मुसम्मन सालिम
मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन
1222 1222 1222 1222
समस्या के बता दे हल कती कब कइसे मा होही
नहीं ते साफ कहिदे तैं कहाँ पइसा बिना होही
हमर तैं वोट ला पाके बने भैरा हवच बइठे
समे आही बता देबो तहूँ ला फेर का होही
उफनथे ढोड़गी अबड़े कभू पानी चिटिक गिरथे
उतर जाही वो थोकुन मा नदी ला तो पता होही
हँसी आवत हवय ए देख अदरा मेंछरावत हे
अबड़ के टिंग टिंगावत हे अजी बइला नवा होही
झपट लिच बाज कस बीमारी अब तो जीव नइ बाँचय
उड़ादिच छानही ला जे गरीबी के हवा होही
मया करबे मया पाबे इही हे सार जिनगी के
तउल झन तैं हा पइसा मा कहाँ वो हा मया होही
ददा दाई ला जीते जी खवा ले प्रेम के कौंरा
उँकर बर मीठ बोली तोर सिरतो मा दवा होही
चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़
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