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Tuesday, 7 July 2020

गजल-आशा देशमुख

गजल-आशा देशमुख

बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़जु आखिर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा

212  212  212  2

भाई दिल्ली अबड़ दूर होगे
स्वार्थ में पद अबड़ चूर होगे।

काम ज्यादा अउ कम हे मजूरी
पेट पापी हा मजबूर होगे

लोमड़ी हा धरे हाथ महुआ
अब्बड़ अम्मट ये अंगूर होगे।

जे रहिस सच धरम के पुजारी।
बेच ईमान मशहूर होगे।

देख चांटी तको ला डरावय।
आज कइसे बड़े शूर होगे।

काम अटके रहिस कई बछर ले
घूस में आज मंजूर होगे।

आज तँय हर बुला काल मँय हर।
शौकिया काम दस्तूर होगे।


आशा देशमुख

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गजल

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