गजल -दुर्गा शंकर इजारदार
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
दरक गे हे सबो नाता मया धर के बने तुन ले ,
अपन माने के पहिली तँय अलग गोंटी बने टुन ले ।।
तैं सुनके भाग मत पीछू कि ले गे कान ला कौंवा ,
सुने हस कान मा जे बात वो तँय बात ला धुन ले ।।
पढ़ाई अउ लिखाई सँग सिखौना काम कतको हे ,
चढ़ा ढेरा मा आँटी जान अउ खटिया खुरा कुन ले ।।
बिना सोंचे विचारे काम करबे होत पछतावा ,
करे गा काम के पहिली नतीजा बर बने गुन ले ।।
कहाँ काशी कहाँ मथुरा अयोध्या धाम जाबे तँय ,
ददा दाई के सेवा कर सबो गा धाम के पुन ले ।।
खड़े रइही ग नेता हाथ जोड़े सब चुनावी मा ,
करे जो काम जनता के सुनो नेता उही चुन ले ।।
चिता चिंता मा बिंदी के फरक तो मात्र हे दुर्गा ,
करे झन खोखला तन मन उदिम करके बचा घुन ले ।।
गजलकार-दुर्गा शंकर ईजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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