छत्तीसगढ़ी गजल--चोवा राम वर्मा 'बादल'
*बहरे मज़ारिअ मुसमन अखरब मकफूफ़ मकफूफ़ महजूफ़*
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
अरकान-221 2121 1221 212
मन भीतरी के आँखी ला तैं खोल देख ले
कचरा उगे हे तेन ला तैं छोल देख ले
मुरझा जथे गुलाब खिले घाम जोर मा
झर जाथे पंखुड़ी हा घटे मोल देख ले
सब ला अबड़ सुहात हे वो जादू जानथे
वोकर सहीं जुबान तहूँ बोल देख ले
डोरी बँधाये जात के तो पाँव मा हवै
बाँधे हवच खुदे कभू तैं खोल देख ले
इँचथे कती कती वो पता सब ला चल जही
कथनी ले हटके करनी मा हे झोल देख ले
रखवार हे खड़े इहाँ चिड़िया भगाय बर
खावत हें बीजा ला तभो उन फोल देख ले
हावय जमाना धाँधली के जाँच मा तको
'बादल' मिले हे अंक सबो गोल देख ले
चोवा राम वर्मा 'बादल '
हथबंद, छत्तीसगढ़
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