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Sunday 13 September 2020

छत्तीसगढ़ी गजल--चोवा राम वर्मा 'बादल'

 छत्तीसगढ़ी गजल--चोवा राम वर्मा 'बादल'


*बहरे मज़ारिअ मुसमन अखरब  मकफूफ़ मकफूफ़ महजूफ़*

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन

अरकान-221 2121  1221 212


मन भीतरी के आँखी ला तैं खोल देख ले

कचरा उगे हे तेन ला तैं छोल देख ले


मुरझा जथे गुलाब खिले घाम जोर मा

झर जाथे पंखुड़ी हा घटे मोल देख ले


सब ला अबड़ सुहात हे वो जादू जानथे

वोकर  सहीं जुबान तहूँ बोल देख ले


डोरी बँधाये जात के तो पाँव मा हवै

बाँधे हवच खुदे कभू तैं खोल देख ले


इँचथे कती कती वो पता सब ला चल जही

कथनी ले हटके करनी मा हे झोल देख ले


रखवार हे खड़े इहाँ चिड़िया भगाय बर

खावत हें बीजा ला तभो उन फोल देख ले


हावय जमाना धाँधली के जाँच मा तको

'बादल' मिले हे अंक सबो गोल देख ले


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद, छत्तीसगढ़

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