Total Pageviews

Friday, 24 July 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-अरुण कुमार निगम

छत्तीसगढ़ी गजल-अरुण कुमार निगम

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212

जान लेबे अदौरी बरी के मजा
भूल जाबे चिकन के करी के मजा।

गाय गरुवा नहीं तो पहटिया नहीं
लूटबे कइसे अब बंसरी के मजा।

जइसे दारू पियइया के चाँदी हवै
वइसे लूटन दे बावन-परी के मजा।

तोप बम बिन न बइरी ह डर्राही रे
तँय तो बाँटत हवस फुलझरी के मजा।

आज शिवनाथ के घाट मा चल 'अरुण'
लेबो मन भर हमन गल-गरी के मजा।

*अरुण कुमार निगम*

1 comment:

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...