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Wednesday, 2 September 2020

दुर्गा शंकर ईजारदार

 दुर्गा शंकर ईजारदार

बहरे कामिल मुसम्मन सालिम

मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212

इँहे गारी मिलथे जुबान मा,इँहे वाह मिलथे जुबान मा,
बने मीठ भर ले जुबान मा ,तभे नाम होहि जहान मा।।

बड़े किमती वोट हे तोर गा ,बने सोंच के तैं तो वोट दे ,
भला चेहरा रहे आदमी ,रखे का हवस ग निशान मा।।

बड़ा पाव पिज्ज़ा मलाई मा,न पुलाव मैगी मजा हवय,
जे मजा मिले सरी जात के,इहाँ बोरे बासी अथान मा।।

मया फूल खीले हृदय तरी,मया भाग से मिले जान जी,
मया माँगे मिलथे न जान ले,न मिले कहूँ ग दुकान मा।।

लिखौ गीत कविता किसान के,लिखौ गीत सत्य के जीत के,
लिखौ गीत देश महान हे,लिखौ गीत देश बखान मा।।

ददा दाई घर से निकाल के,तैं तो डंडा मार भगाय रे,
मरे बाद दाई ददा के तो,करे खर्च पिंड के दान मा।।

बड़े कारखाना लगे हवय,रे इजारदार सरी जगा,
सबो परिया पर गे हे खेत रे,नहीं पेड़ राज मचान मा।।

दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)

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