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Wednesday, 2 September 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक्सूर
फ़ऊलन फ़ऊलन फ़ऊलन फ़अल
122  122  122  12

रखौ जोर सुंता ला परिवार मा।
मया बाँट लौ भाई संसार मा।।

उड़े पिंजरा ले सुआ जेन दिन।
दुबारा कहाँ आय हे द्वार मा।।

लड़े जा लड़ाई खुदे हक लिये।
बिके मान झन झूठ बाजार मा।।

बड़े आदमी के सजे हे महल।
जिये छोट मनखे तो अँधियार मा।।

गढ़े जा कहानी जवानी सुघर।
दिखे रूप जिनगी असरदार मा।।

किसानी हमर मान पहिचान हे।
बसे प्रान हे खेत मन खार मा।।

गजानंद बिरवा लगा ले सुमत।
खिले फूल समता सुखी डार मा।।

गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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