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Sunday 10 January 2021

ग़ज़ल - चोवा राम 'बादल'*

 *ग़ज़ल - चोवा राम 'बादल'*


*बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़*


*मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन*


*1212 1212 1212 1212*


नँवे ला सीख ले अभी,गिराय ला उठाय बर

लगा तभेच जोर तैं, पहाड़ ला हटाय बर


कहे म का रखे हवय,गरज गरज के बात ला

बरस बरस के मिट गड़ी, फसल बने उगाय बर


कतेक काट लेबे सिर, कलम लगे उल्हा जही

उमर खपाय हें बहुँत,दया मया ला लाय बर


विचार हा खराब हे,अटेलिहा के देख ले

धरे हवय तभो छड़ी,घड़ी घड़ी डराय बर


कई ठो दाँत टूटगे, चगल के देख लिन हवयँ

चना फुटेना हम नहीं, चबा चबा के खाय बर


सिमेंट दे न छड़ बिछा, वसूलबे  पता हवय

खदर अबड़ गँजाय हे, हमार घर छवाय बर


दबा नहीं न दब कभू,उठा के रेंग मूँड़ ला

जिहाँ जरूरी शान हे,त छोड़ दे लजाय बर



चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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