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Friday 4 September 2020

ग़ज़ल -आशा देशमुख*

 *ग़ज़ल -आशा देशमुख*

*बहरे मज़ारिअ मुसमन अखरब  मकफूफ़ मकफूफ़ महजूफ़*
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121  1221 212


हिप्पी चुंदी कटाय हे ककवा बड़े बड़े।
नानुक छेदाय कान ह खिनवा बड़े बड़े।

कारी अँधेरी रात म जंगल चुपे हवय
हंसा के पंख नोचथे घुघवा बड़े बड़े।

बिलई के भाग जाग गे सींका हा टूटगे
गोदाम मा पलत हवे मुसवा बड़े बड़े।

जाना सबो ला पार औ माँझी दिखे नही
पानी हवे उफान मा नरवा बड़े बड़े।

चद्दर बिछाय हे फटे ओढ़े अकास ला
शेखी गड़ात हे इहाँ मड़वा बड़े बड़े।

साँसा के नार हा जरे आगी धरे सुरुज
काटत हवे विकास हा रुखवा बड़े बड़े।

संगी नही हे सत्य के जिभिया कटाय हे
शक्कर धरे ये झूठ के मितवा बड़े बड़े।


आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

2 comments:

  1. सादर आभार भाई
    खजाना में ग़ज़ल ल स्थान दे बर

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  2. सुग्घर रचे हव दीदी बधाई।
    नानुक छेदाय ह बे बहर लागत हे।

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