छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
नइहे गुजर-बसर रे मयारू मया बिना
कट जाही जिन्दगी भले काशी गया बिना
लिख-लिख बडंकी मार के गाए गवाए जा
साहित गज़ल न गाना शबद मा थया बिना
बलिदान हो जगाही ओ कब-तक समाज ला
अब जनता सत्ता शास्त्र जगय' निर्भया' बिना
छत्तीसगढ़ के ऑंव कथस तॅंय गुरेर के
पतियान कइसे राम मया अउ दया बिना
सुखदेव झन भुलाबे ग पुरखा पया समान
सिरजै भवन महल न किला घर पया बिना
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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