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Tuesday 8 September 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर


बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़

मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन


221 2121 1221 212


नइहे गुजर-बसर रे मयारू मया बिना

कट जाही जिन्दगी भले काशी गया बिना


लिख-लिख बडंकी मार के गाए गवाए जा

साहित गज़ल न गाना शबद मा थया बिना


बलिदान हो जगाही ओ कब-तक समाज ला

अब जनता सत्ता शास्त्र जगय' निर्भया' बिना


छत्तीसगढ़ के ऑंव कथस तॅंय गुरेर के

पतियान कइसे राम मया अउ दया बिना


सुखदेव झन भुलाबे ग पुरखा पया समान

सिरजै भवन महल न किला घर पया बिना


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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